श्री पनोधरी राय

Panodhar rai jaisalmerआवड़ा माता का यह स्थान मोहनगढ़ से ६ की. मी. उतर की और सिथत हे उसके चारो और रेत के टीले हें पुराने समय मे इस जगह पर एक कच्चा मन्दिर था उसके पास एक खेजड़ी का पुराना वृक्ष था जिसके निचे पानी का कुवा था ! यहाँ पर पुराने समय मे लाड जाती का एक मुसलमान भेड बकरिया चराया करता था व खेजड़ी वृक्ष के खोखे खाया करता था , एक दिन अचानक खोखे लेते हुवे पैर फिसलने से कुवे मे गिर गया ! कुवा बहोत गहरा था ! फ़िर भी वही व्यक्ति अनार्य होते हुवे उक्त देवी का स्मरण मन ही मन करने लगा ! उसके घरवालो ने चार पाँच दिन तक खोज ख़बर ली आख़िर फिरते हुवे कुवे के पास आए तो उसने आवाज दी मे सकुशल पाच दिन से कुवे मे बता हू , खाने के लिए मैया खेजड़ी के खोखे डाल रही हें , पीने को पानी हें मुझे इस खेजड़ी वाली मैया ने बचाया हें ! उसको बहार निकला गया वह शुद्ध भावः से मैया की वंदना करने लगा ! कहते हें उक्त मुसलमान का नाम पनु था , उसका मैया ने उद्धार किया इसलिए उक्त स्थान को पनोधरी राय के नाम से लोग पुकारने लगे , वर्तमान मे बड़ा भव्य मन्दिर बना हुवा हें !!

जाति गुणे जोगनी , धावे जो चित ध्यान ! पड्यो नाम पनोधरी पूजे लाड प्रधान !

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